बच्चों के डांस क्लास के वो अनदेखे फ़ायदे जो आपके बच्चे की ज़िंदगी बदल देंगे – जानें अभी!

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आजकल बच्चों को बस मोबाइल या टीवी पर चिपके हुए देखना कितना आम हो गया है, है ना? मुझे तो लगता है कि उनकी असीमित ऊर्जा को सही दिशा देना आज के माता-पिता की सबसे बड़ी चुनौती है। मेरे अनुभव में, बच्चों के लिए डांस क्लास एक जादुई समाधान से कम नहीं। यह सिर्फ़ पैर थिरकाना नहीं, बल्कि उनकी शारीरिक फिटनेस, मानसिक विकास और आत्मविश्वास को बढ़ाने का एक अद्भुत तरीका है। मैंने खुद देखा है कि कैसे एक बच्चा, जो पहले थोड़ा शांत स्वभाव का था, डांस के ज़रिए खुलकर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने लगा। आज के दौर में जब ऑनलाइन लर्निंग और डिजिटल दुनिया हर जगह हावी है, ऐसे में बच्चों को डांस क्लास में भेजना उन्हें स्क्रीन से दूर रखने और वास्तविक दुनिया से जोड़ने का एक शानदार ज़रिया है।आजकल हिप-हॉप से लेकर क्लासिकल तक, और बॉलीवुड फ्यूजन का भी खूब क्रेज़ है, जो बच्चों को सिर्फ़ अनुशासन नहीं सिखाता, बल्कि रचनात्मकता को भी पंख देता है। भविष्य में जहाँ AI और टेक्नोलॉजी का बोलबाला होगा, वहाँ शारीरिक कलाओं और भावनात्मक बुद्धिमत्ता का महत्व और भी बढ़ेगा, और डांस इसमें एक बड़ी भूमिका निभाएगा। एक पैरेंट के तौर पर, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे बच्चे सिर्फ़ किताबी ज्ञान तक ही सीमित न रहें, बल्कि ऐसे हुनर भी सीखें जो उन्हें एक संपूर्ण व्यक्तित्व दें। बच्चों की थिरकती चाल और उनकी आँखों में चमक देखकर हमेशा महसूस होता है कि हमने उन्हें कुछ ऐसा दिया है जो जीवन भर उनके काम आएगा। पक्का बताऊंगा!

पक्का बताऊंगा! मैंने अपने बच्चों को डांस क्लास में भेजकर जो बदलाव देखे हैं, वे किसी चमत्कार से कम नहीं। सच कहूँ तो, पहले मुझे भी लगता था कि बस शरीर थिरकाने से क्या होगा, लेकिन जब मैंने अपनी आँखों से उनका शारीरिक और मानसिक विकास देखा, तो मेरा नज़रिया ही बदल गया। यह सिर्फ़ कोई शौक नहीं, बल्कि उनके संपूर्ण व्यक्तित्व को तराशने का एक शानदार ज़रिया है। मुझे याद है, एक बार मेरा भतीजा, जो बहुत शर्मीला था, स्टेज पर परफॉर्मेंस देने के बाद जिस आत्मविश्वास से मुस्कुरा रहा था, वह अनुभव अनमोल था।

थिरकते कदम, मज़बूत शरीर: शारीरिक विकास का मंत्र

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गतिशीलता और समन्वय का अद्भुत संगम

जब बच्चे डांस करते हैं, तो उनके शरीर का हर अंग एक साथ काम करता है। यह सिर्फ़ पैरों को हिलाना नहीं, बल्कि हाथों, पैरों और पूरे शरीर के बीच एक तालमेल बिठाना होता है। मैंने देखा है कि कैसे छोटे बच्चे, जो पहले अपने ही कदमों में उलझ जाते थे, कुछ महीनों की डांस क्लास के बाद इतनी फुर्ती से मूव करने लगे कि मैं हैरान रह गई। उनके शरीर में गजब की लचीलता आ गई और उनकी चाल-ढाल में भी एक अलग ही ग्रेस दिखने लगा। मेरा बेटा, जो पहले थोड़ा आलसी स्वभाव का था, अब हर काम में सक्रियता दिखाता है, और इसका श्रेय मैं काफी हद तक उसकी डांस क्लासेस को देती हूँ। यह उन्हें सिर्फ़ शारीरिक रूप से मजबूत नहीं बनाता, बल्कि उन्हें एक ऐसी गतिशीलता देता है जो उन्हें जीवन भर स्वस्थ रहने में मदद करती है।

ऊर्जा का सही उपयोग और स्वस्थ आदतें

आजकल के बच्चों में असीमित ऊर्जा होती है, और अगर इस ऊर्जा को सही दिशा न मिले तो वे या तो मोबाइल पर चिपक जाते हैं या घर में तोड़-फोड़ करने लगते हैं। डांस क्लास उनकी इस अतिरिक्त ऊर्जा को सकारात्मक रूप से निकालने का एक बेहतरीन तरीका है। जब वे डांस करते हैं तो खूब पसीना बहाते हैं, उनकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं और उनका मेटाबॉलिज्म भी बेहतर होता है। मैंने महसूस किया है कि डांस के बाद मेरा बच्चा न केवल थका हुआ महसूस करता है, बल्कि उसकी भूख भी बढ़ती है और वह रात को गहरी नींद सोता है। यह उन्हें कम उम्र से ही सक्रिय रहने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की आदत डालता है, जो भविष्य में मोटापे और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रखने में सहायक होता है। मेरे अनुभव में, यह निवेश उनके भविष्य के स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा है।

मन की एकाग्रता, भावनाओं का संतुलन: मानसिक सेहत का आधार

तनाव मुक्ति और आनंद का अनुभव

डांस सिर्फ़ शरीर का व्यायाम नहीं, यह मन का भी व्यायाम है। जब बच्चे संगीत की धुन पर नाचते हैं, तो वे अपनी सारी चिंताएं और तनाव भूल जाते हैं। यह उनके लिए एक तरह की थेरेपी का काम करता है। मैंने खुद देखा है कि कैसे एक उदास या परेशान बच्चा डांस क्लास से लौटने के बाद बिल्कुल तरोताज़ा और खुश नज़र आता है। यह उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक मंच देता है, खासकर उन बच्चों को जो शायद शब्दों में अपनी बात नहीं कह पाते। यह उन्हें अपनी रचनात्मकता को खुलकर व्यक्त करने का अवसर देता है, जिससे उनका मानसिक संतुलन बेहतर होता है और वे अधिक सकारात्मक महसूस करते हैं। यह उन्हें खुश रहने और जीवन का आनंद लेने का एक बेहतरीन तरीका सिखाता है।

स्मृति और एकाग्रता का विकास

डांस सीखते समय बच्चों को न केवल अलग-अलग स्टेप्स याद रखने होते हैं, बल्कि उन्हें संगीत की लय और कोरियोग्राफी को भी समझना होता है। यह उनकी याददाश्त और एकाग्रता को तेज़ी से बढ़ाता है। मेरा एक दोस्त का बेटा है, जिसे पढ़ाई में ध्यान लगाने में दिक्कत होती थी, लेकिन जब से उसने डांस क्लास शुरू की है, उसकी एकाग्रता में गजब का सुधार आया है। वह अब क्लास में भी ज़्यादा ध्यान दे पाता है और चीज़ों को आसानी से याद रख पाता है। डांस के दौरान उन्हें एक साथ कई चीज़ों पर ध्यान देना होता है – संगीत, स्टेप्स, साथी डांसरों के साथ तालमेल – जिससे उनका मल्टीटास्किंग स्किल भी विकसित होता है। यह एक ऐसी मानसिक कसरत है जो उनके दिमाग को तेज़ और अधिक कुशल बनाती है।

आत्मविश्वास का मंच: व्यक्तित्व निखारने का सफ़र

प्रदर्शन का डर दूर, आत्म-अभिव्यक्ति को बल

मुझे लगता है कि बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करना सबसे महत्वपूर्ण चीज़ों में से एक है। डांस क्लास उन्हें स्टेज पर प्रदर्शन करने का अवसर देती है, जिससे उनका प्रदर्शन का डर धीरे-धीरे कम होता है। जब वे दर्शकों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं और उन्हें सराहना मिलती है, तो उनका आत्मविश्वास आसमान छूने लगता है। मेरा एक अनुभव है, मेरी छोटी बेटी पहले किसी भी भीड़ वाली जगह पर बोलने से कतराती थी, लेकिन डांस परफॉर्मेंस के बाद उसमें इतना बदलाव आया कि अब वह स्कूल के हर कार्यक्रम में हिस्सा लेने को तैयार रहती है। यह उन्हें अपनी भावनाओं और व्यक्तित्व को बिना किसी झिझक के व्यक्त करने का साहस देता है।

नए दोस्त और सामाजिक कौशल का निर्माण

डांस क्लास में बच्चे सिर्फ़ स्टेप्स नहीं सीखते, वे नए दोस्त भी बनाते हैं। उन्हें विभिन्न पृष्ठभूमि के बच्चों के साथ घुलने-मिलने का मौका मिलता है, जिससे उनके सामाजिक कौशल विकसित होते हैं। वे टीम में काम करना सीखते हैं, एक-दूसरे का समर्थन करना सीखते हैं और साझा लक्ष्य के लिए मिलकर काम करना सीखते हैं। यह उन्हें सहिष्णुता, सहानुभूति और दूसरों की ज़रूरतों को समझने में मदद करता है। मेरी बेटी ने डांस क्लास में अलग-अलग शहरों के बच्चों से दोस्ती की है, और इससे उसे दुनिया को बड़े नजरिए से देखने में मदद मिली है। यह उन्हें भविष्य में किसी भी सामाजिक परिस्थिति में ढलने और प्रभावी ढंग से बातचीत करने के लिए तैयार करता है।

लाभ बच्चों पर प्रभाव
शारीरिक फिटनेस मांसपेशियां मजबूत होती हैं, लचीलापन बढ़ता है, स्टैमिना आता है, और वे स्वस्थ जीवनशैली की ओर बढ़ते हैं।
मानसिक विकास एकाग्रता, याददाश्त और तनाव प्रबंधन कौशल में सुधार होता है, साथ ही मानसिक शांति मिलती है।
आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति स्टेज पर प्रदर्शन से डर खत्म होता है, आत्म-अभिव्यक्ति की क्षमता बढ़ती है और खुद पर विश्वास पैदा होता है।
सामाजिक कौशल नए दोस्त बनते हैं, टीम वर्क सीखते हैं, विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों के साथ सामंजस्य बिठाते हैं।
रचनात्मकता कल्पना शक्ति को बढ़ावा मिलता है, संगीत और कला के प्रति समझ विकसित होती है।

रचनात्मकता और अभिव्यक्ति की उड़ान: कला का अद्भुत संसार

कल्पना को पंख, मौलिकता को प्रोत्साहन

डांस सिर्फ़ स्टेप्स को दोहराना नहीं होता, यह कला और रचनात्मकता का एक अनंत सागर है। बच्चे अपने विचारों और भावनाओं को शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से व्यक्त करना सीखते हैं। जब उन्हें अपनी कोरियोग्राफी बनाने या किसी गाने पर अपने तरीके से डांस करने का अवसर मिलता है, तो उनकी कल्पना को पंख लग जाते हैं। मैंने देखा है कि कैसे एक बच्चा, जो पहले केवल नकल करता था, धीरे-धीरे अपनी मौलिक स्टाइल विकसित करने लगता है। यह उन्हें लीक से हटकर सोचने और अपनी अनूठी पहचान बनाने के लिए प्रेरित करता है। यह उन्हें केवल अनुशासित नहीं बनाता, बल्कि उन्हें एक कलाकार के रूप में विकसित होने में मदद करता है।

संगीत और लय के साथ गहरा जुड़ाव

डांस का सबसे महत्वपूर्ण पहलू संगीत है। डांस क्लास बच्चों को विभिन्न प्रकार के संगीत से परिचित कराती है और उन्हें संगीत की लय, ताल और भावनाओं को समझना सिखाती है। वे संगीत के साथ एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव महसूस करना सीखते हैं, जो उनके समग्र संवेदी विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मैंने पाया है कि जो बच्चे डांस करते हैं, वे न केवल संगीत को बेहतर समझते हैं, बल्कि वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए संगीत का उपयोग भी करते हैं। यह उन्हें संगीत की दुनिया की बारीकियों को समझने में मदद करता है और उन्हें एक समृद्ध कलात्मक अनुभव प्रदान करता है।

सामाजिक ताना-बाना और टीम वर्क: भविष्य की नींव

समूह में काम करने की कला

आज की दुनिया में अकेले काम करने की बजाय टीम में काम करने का कौशल बहुत ज़रूरी है। डांस क्लास बच्चों को समूह में काम करने का बेहतरीन अवसर देती है। उन्हें एक साथ मिलकर कोरियोग्राफी करनी होती है, एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाना होता है और एक-दूसरे की गलतियों को सुधारने में मदद करनी होती है। यह उन्हें सिखाता है कि कैसे अपने साथियों का सम्मान करें, उनकी बात सुनें और एक साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर प्रयास करें। मुझे याद है, एक बार मेरे बेटे की डांस टीम ने एक प्रतियोगिता जीती थी, और उस जीत से उन्हें जो खुशी मिली, वह सिर्फ़ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि एक टीम के रूप में उनकी जीत थी।

विविधता का सम्मान और सहिष्णुता

डांस क्लास में अक्सर विभिन्न संस्कृतियों, पृष्ठभूमियों और उम्र के बच्चे एक साथ आते हैं। यह उन्हें विविधता को स्वीकार करने और उसका सम्मान करने का अवसर देता है। वे एक-दूसरे से सीखते हैं, एक-दूसरे की कला और स्टाइल को समझते हैं, और इस प्रक्रिया में अधिक सहिष्णु और खुले विचारों वाले बनते हैं। यह उन्हें भविष्य में एक वैश्विक नागरिक के रूप में तैयार करता है, जो विभिन्न लोगों के साथ सामंजस्य बिठा सकते हैं। मैंने देखा है कि कैसे मेरी बेटी ने अपनी डांस क्लास में अलग-अलग धर्मों और भाषाओं के दोस्त बनाए हैं, और यह अनुभव उसके लिए बहुत मूल्यवान है।

तकनीकी दुनिया से दूरी, वास्तविक जुड़ाव की ओर

स्क्रीन टाइम से मुक्ति, सक्रिय जीवनशैली की ओर

आजकल बच्चे ज़्यादातर समय मोबाइल, टैबलेट या टीवी के सामने बिताते हैं। यह उनकी शारीरिक गतिविधि को कम करता है और उनकी आंखों पर भी बुरा असर डालता है। डांस क्लास उन्हें स्क्रीन से दूर रखने और वास्तविक दुनिया में सक्रिय होने का एक बेहतरीन अवसर देती है। जब वे डांस क्लास में होते हैं, तो वे शारीरिक रूप से सक्रिय होते हैं, दूसरों के साथ बातचीत करते हैं और एक रचनात्मक माहौल में होते हैं। मेरे अनुभव में, यह उनके स्क्रीन टाइम को कम करने और उन्हें एक स्वस्थ, सक्रिय जीवनशैली की ओर मोड़ने का एक बहुत ही प्रभावी तरीका है। उन्हें बाहर निकलकर पसीना बहाने और कुछ नया सीखने की आदत पड़ती है।

वास्तविक दुनिया के अनुभव और संवेदी विकास

डिजिटल दुनिया के विपरीत, डांस क्लास बच्चों को वास्तविक दुनिया के अनुभव प्रदान करती है। वे संगीत की धुन महसूस करते हैं, अपने शरीर की गति को नियंत्रित करते हैं, और अपने साथियों के साथ शारीरिक रूप से इंटरैक्ट करते हैं। यह उनके संवेदी विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो डिजिटल उपकरणों के अत्यधिक उपयोग से प्रभावित हो सकता है। उन्हें वास्तविक लोगों से मिलने, सीखने और उनके साथ सहयोग करने का अवसर मिलता है। यह उन्हें एक ऐसे संतुलित जीवन की ओर ले जाता है जहाँ वे टेक्नोलॉजी का उपयोग तो करते हैं, लेकिन उस पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होते।

अनुशासन और धैर्य की पाठशाला: जीवन कौशल का विकास

अभ्यास का महत्व और लक्ष्य-निर्धारण

डांस सीखना कोई एक दिन का काम नहीं है; इसमें नियमित अभ्यास और धैर्य की ज़रूरत होती है। डांस क्लास बच्चों को अनुशासन का महत्व सिखाती है। उन्हें सिखाया जाता है कि कैसे नियमित रूप से अभ्यास करें, गलतियों से सीखें और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करें। यह उन्हें लक्ष्य-निर्धारण का महत्व भी सिखाता है – चाहे वह कोई नया स्टेप सीखना हो या किसी प्रतियोगिता में भाग लेना हो। मैंने देखा है कि कैसे मेरा बेटा, जो पहले किसी भी काम को जल्दी छोड़ देता था, डांस क्लास के बाद अधिक धैर्यवान और दृढ़निश्चयी हो गया है। यह जीवन का एक ऐसा महत्वपूर्ण सबक है जो उन्हें किसी भी क्षेत्र में सफल होने में मदद करेगा।

चुनौतियों का सामना और दृढ़ता

डांस सीखते समय बच्चे कई चुनौतियों का सामना करते हैं – कभी कोई स्टेप मुश्किल लगता है, तो कभी शरीर साथ नहीं देता। लेकिन डांस क्लास उन्हें इन चुनौतियों का सामना करना और हार न मानना सिखाती है। जब वे किसी मुश्किल स्टेप को सीख लेते हैं या किसी बाधा को पार कर लेते हैं, तो उन्हें एक अविश्वसनीय संतुष्टि मिलती है। यह उन्हें जीवन में दृढ़ रहना और मुश्किल परिस्थितियों में भी हार न मानने की सीख देता है। यह उन्हें सिखाता है कि सफलता के लिए लगातार प्रयास करना कितना ज़रूरी है, और यह सीख उनके भविष्य के हर पहलू में काम आती है।

नृत्य क्यों है सबसे बेहतर निवेश: दीर्घकालिक लाभ

आजीवन फिटनेस और खुशी का स्रोत

डांस सिर्फ़ बचपन की गतिविधि नहीं है; यह एक ऐसी कला है जो जीवन भर साथ रहती है। जो बच्चे कम उम्र से डांस करते हैं, वे अक्सर जीवन भर सक्रिय रहते हैं और डांस को अपनी फिटनेस रूटीन का हिस्सा बनाए रखते हैं। यह उन्हें एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने में मदद करता है। डांस तनाव से मुक्ति का एक बेहतरीन स्रोत है और यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। मैंने कई ऐसे लोगों को देखा है जिन्होंने बचपन में डांस सीखा और आज भी वे उसे अपनी खुशी का एक बड़ा कारण मानते हैं। यह एक ऐसा निवेश है जो उन्हें आजीवन शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रखता है।

भविष्य के लिए एक अनमोल उपहार

अंत में, मैं यही कहूंगी कि बच्चों को डांस क्लास में भेजना सिर्फ़ उन्हें मनोरंजन प्रदान करना नहीं है, बल्कि उन्हें भविष्य के लिए एक अनमोल उपहार देना है। यह उन्हें ऐसे कौशल सिखाता है जो स्कूलों की किताबों में नहीं मिलते – आत्मविश्वास, रचनात्मकता, अनुशासन, सामाजिक कौशल और भावनात्मक बुद्धिमत्ता। ये सभी गुण उन्हें एक संपूर्ण व्यक्ति बनने में मदद करते हैं और उन्हें जीवन की किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार करते हैं। मुझे सच में लगता है कि यह सबसे बेहतरीन चीज़ों में से एक है जो हम अपने बच्चों के लिए कर सकते हैं, क्योंकि यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ उनके सामाजिक और भावनात्मक विकास की नींव रखता है।

글 को समाप्त करते हुए

सच कहूँ, बच्चों को डांस क्लास में भेजना सिर्फ़ उन्हें व्यस्त रखने या कुछ नया सिखाने से कहीं ज़्यादा है। यह उनके संपूर्ण व्यक्तित्व को निखारने का एक अद्भुत ज़रिया है। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि यह एक ऐसा निवेश है जो उन्हें केवल शारीरिक रूप से फिट नहीं रखता, बल्कि मानसिक रूप से मज़बूत, भावनात्मक रूप से संतुलित और सामाजिक रूप से कुशल बनाता है। डांस उन्हें जीवनभर खुशी, आत्मविश्वास और आत्म-अभिव्यक्ति का एक सुंदर माध्यम प्रदान करता है। यह उनके भविष्य के लिए एक ऐसा अनमोल उपहार है जो स्कूलों की किताबों से परे जाकर उन्हें वास्तविक जीवन के लिए तैयार करता है। मेरा अनुभव कहता है कि यह हर माता-पिता को अपने बच्चों के लिए विचार करना चाहिए।

जानने योग्य उपयोगी जानकारी

1. अपने बच्चे की उम्र और रुचि के अनुसार सही डांस फॉर्म और क्लास चुनें। हर बच्चे की सीखने की गति और पसंद अलग होती है।

2. डांस क्लास में दाखिला लेने से पहले कुछ ट्रायल क्लास ज़रूर लें ताकि बच्चा और आप दोनों माहौल और शिक्षक के स्टाइल से परिचित हो सकें।

3. केवल परफॉरमेंस-ओरिएंटेड क्लासेस पर ध्यान न दें, बल्कि ऐसी क्लास चुनें जो बच्चे के समग्र विकास, अनुशासन और रचनात्मकता पर भी ज़ोर देती हो।

4. शिक्षक की योग्यता और अनुभव के साथ-साथ क्लास के माहौल और सुरक्षा मानकों पर भी ध्यान दें। एक सकारात्मक और सहायक वातावरण बहुत ज़रूरी है।

5. अपने बच्चे की प्रगति पर नज़र रखें और उसे प्रोत्साहित करते रहें। उसकी छोटी-छोटी सफलताओं पर भी खुशी मनाएँ, इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा।

मुख्य बिंदुओं का सारांश

बच्चों को डांस क्लास में भेजने से उनका शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास होता है। यह उन्हें आत्मविश्वास, अनुशासन, रचनात्मकता और टीम वर्क जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशल सिखाता है। डांस स्क्रीन टाइम से दूर एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली अपनाने में मदद करता है और आजीवन खुशी और फिटनेस का एक स्रोत बन सकता है। यह तनाव कम करता है, एकाग्रता बढ़ाता है, और उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक रचनात्मक माध्यम प्रदान करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖

प्र: आजकल बच्चे स्क्रीन पर बहुत ज़्यादा समय बिताते हैं, ऐसे में डांस क्लास उन्हें कैसे मदद कर सकती हैं?

उ: मेरा तो मानना है कि ये सिर्फ़ मोबाइल या टीवी से ध्यान हटाने का ज़रिया नहीं, बल्कि बच्चों की असीमित ऊर्जा को सही दिशा देने का सबसे बेहतरीन तरीका है। मैंने ख़ुद अपनी आँखों से देखा है कि कैसे एक शांत स्वभाव का बच्चा भी डांस के ज़रिए न सिर्फ़ अपनी भावनाओं को व्यक्त करने लगा, बल्कि उसमें गजब का आत्मविश्वास भी आ गया। ये उन्हें सिर्फ़ शारीरिक रूप से फ़िट नहीं रखता, बल्कि मानसिक रूप से भी मज़बूत बनाता है और स्क्रीन से दूर रहकर वे असली दुनिया से जुड़ते हैं। सच कहूँ तो, यह एक तरह का जादुई समाधान है!

प्र: मेरे बच्चे के लिए डांस क्लास शुरू करने की सही उम्र क्या है और हमें कौन सी शैली चुननी चाहिए?

उ: देखिए, सही उम्र तो बच्चे की रुचि पर निर्भर करती है, लेकिन आमतौर पर 5-6 साल की उम्र से बच्चे लय और ताल समझने लगते हैं। मैंने तो अपने बच्चे को पहले थोड़ी खुली और playful शैली में डाला, जैसे बॉलीवुड फ्यूजन या हिप-हॉप, ताकि उसे मज़ा आए। बाद में जब वो बड़ा हुआ और उसकी रुचि बढ़ी, तब क्लासिकल की ओर बढ़े। मेरा अनुभव है कि शुरुआत में बच्चों पर कोई बोझ नहीं डालना चाहिए, बल्कि उन्हें ख़ुद चुनने का मौका देना चाहिए कि उन्हें किस तरह के संगीत या चाल में मज़ा आ रहा है। उनकी खुशी ही सबसे बड़ी प्रेरणा है।

प्र: भविष्य में जब AI और टेक्नोलॉजी का दबदबा होगा, तब डांस जैसी शारीरिक कलाओं का क्या महत्व रहेगा?

उ: मेरा तो दृढ़ विश्वास है कि AI चाहे जितना भी स्मार्ट हो जाए, वो रचनात्मकता, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और शारीरिक कलाओं की जगह कभी नहीं ले सकता। डांस सिर्फ़ पैर थिरकाना नहीं, ये तो अपने आप को व्यक्त करने का एक अनूठा ज़रिया है। आज के दौर में जब हर तरफ़ डिजिटल दुनिया है, तब बच्चों को डांस क्लास में भेजना उन्हें ऐसे हुनर सिखाता है जो भविष्य में उन्हें एक संपूर्ण और संतुलित व्यक्तित्व देंगे। ये उन्हें सिर्फ़ किताबी कीड़ा बनने से रोकता है, और उन्हें जीवन के उन पहलुओं से जोड़ता है जो मशीनों से परे हैं। ये तो जीवनभर काम आने वाली चीज़ है, पक्का बताता हूँ!

📚 संदर्भ